हनुमानजी से सीखें मैनेजमेंट के 10 गुण
अंजनीपुत्र हनुमानजी एक कुशल प्रबंधन थे। मन, कर्म और वाणी पर संतुलन यह हनुमान जी से सीखा जा सकता है। ज्ञान, बुद्धि, विद्या और बल के साथ ही उनमें विनम्रता भी अपार थी। सही समय पर सही कार्य करना और कार्य को अंजाम तक पहुंचाने का उनमें चमत्कारिक गुण था। आओ जानते हैं कि किस तरह उनमें कार्य का संपादन करने की अद्भुत क्षमता थी जो आज के मैनेजर्स और कर्मठ लोगों को सीखना चाहिए। जादू टोनो से छुटकारा कैसे पाए 1. सीखने की लगन : हनुमानजी ने बचपन से लेकर अंत तक सभी से कुछ ना कुछ सीखा था। कहते हैं कि उन्होंने अपनी माता अंजनी और पिता केसरी के साथ ही धर्मपिता पवनपुत्र से भी भी शिक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने शबरी के गुरु ऋषि मतंग से भी शिक्षा ली थी और भगवान सूर्य से उन्होंने सभी तरह की विद्या ग्रहण की थी। प्रभु श्रीराम से सीखें मैनेजमेंट के ये 7 गुण 2. कार्य में कुशलता और निपुणता : हनुमानजी के कार्य करने की शैली अनूठी थी साथ वे कार्य में कुशल और निपुण थे। उन्होंने सुग्रीव की सहाता हेतु उन्हें श्रीराम से मिलाया और राम की सहायता हेतु उन्होंने वह सब कुछ अपनी बुद्धि कौशल से कि...